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अध्याय II – सूचना का अधिकार और राष्ट्रीय महिला आयोग के दायित्व

भाषा

हिंदी

इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, सभी नागरिकों को सूचना का अधिकार होगा। 

आयोग का दायित्व-

  1. प्राधिकरण अपने सभी अभिलेखों को विधिवत् सूचीबद्ध और अनुक्रमित रखेगा, तथा उन्हें ऐसे तरीके और प्रारूप में रखेगा, जिससे अधिनियम के अंतर्गत सूचना के अधिकार को सुगम बनाया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि कम्प्यूटरीकृत किए जाने योग्य सभी अभिलेखों को उचित समय के भीतर और संसाधनों की उपलब्धता के अधीन कम्प्यूटरीकृत कर दिया जाए तथा उन्हें विभिन्न प्रणालियों पर पूरे देश में नेटवर्क के माध्यम से जोड़ दिया जाए, ताकि ऐसे अभिलेखों तक पहुंच सुगम हो सके।
  2. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध कराई जाए और प्रकाशित की जाए।
    1. संगठन के संबंध में विवरण; कार्य और कर्तव्य
    2.  इसके अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियां और कर्तव्य 
    3. पर्यवेक्षण और जवाबदेही के चैनल सहित निर्णय लेने की प्रक्रिया में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया। 
    4. अधिकारियों के कार्यों और कर्तव्यों के निर्वहन के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा निर्धारित मानदंडों को बनाए रखना। 
    5. संबंधित प्रकोष्ठों/विभागों के कार्यों के निर्वहन के लिए प्रभावी विनियम, अनुदेश, अभिलेख, मैनुअल, निर्णय एवं नीतियां। 
    6. अपने पास मौजूद दस्तावेजों की श्रेणियों का विवरण रखना तथा प्रसंस्करण के लिए उन्हें बनाए रखना आवश्यक है।
    7. अपनी नीति के निर्माण या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों के साथ परामर्श या उनके प्रतिनिधित्व के लिए मौजूद किसी भी व्यवस्था का विवरण बनाए रखना।
    8. बोर्ड के विवरण/परिषदों/समितियों और दो या दो से अधिक व्यक्तियों वाले अन्य निकायों के निर्णय, जिनका गठन आयोग द्वारा सलाह देने के उद्देश्य से किया गया है और क्या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त जनता के लिए सुलभ हैं। 
    9. आयोग के निर्णयों तथा ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त को बनाए रखना जो जनता के लिए सुलभ हों। 
    10. अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की एक निर्देशिका बनाए रखें। 
    11. लेखा प्रकोष्ठ/अनुभाग अपने प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी को मिलने वाले मासिक पारिश्रमिक को बनाए रखेगा, जिसमें विनियमन में प्रावधान के अनुसार पारिश्रमिक की प्रणाली भी शामिल होगी। 
    12. लेखा प्रकोष्ठ/अनुभाग बजट का रिकार्ड भी रखेंगे तथा आयोग के प्रत्येक प्रकोष्ठ को आवंटित बजट का भी विवरण रखेंगे, जिसमें सभी योजनाओं का विवरण दर्शाया जाएगा। 
    13. लेखा प्रकोष्ठ/अनुभाग प्रस्तावित व्यय का रिकार्ड तथा किए गए और किए जाने वाले संवितरणों पर रिपोर्ट भी रखेगा।
    14. सभी प्रकोष्ठ अपने पास उपलब्ध सूचना तथा सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं का ब्यौरा रखेंगे। 
    15. नागरिकों की सुविधाओं से संबंधित जानकारी जनसंपर्क कार्यालय के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में प्रकाशित करके सार्वजनिक सूचना जारी की जाएगी। 
    16. आयोग योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के तरीके को बनाए रखेगा, जिसमें आवंटित राशि और लाभार्थी का विवरण दर्शाया जाएगा।
    17. ऐसी अन्य जानकारी बनाए रखें जो निर्धारित और अपेक्षित हो तथा उसके बाद हर वर्ष जानकारी को अद्यतन करें।
  3. महत्वपूर्ण नीतियों या निर्णयों को तैयार करते समय, जो जनता को प्रभावित करते हैं, प्रिंट मीडिया और इंटरनेट सहित संचार के विभिन्न साधनों के माध्यम से सभी प्रासंगिक तथ्यों को प्रकाशित करना, ताकि जनता को सूचना प्राप्त करने के लिए इस अधिनियम का कम से कम सहारा लेना पड़े। 
  4. प्रत्येक सूचना को ऐसे रूप और तरीके से व्यापक रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए जो जनता के लिए आसानी से सुलभ हो।
  5. प्रभावित व्यक्तियों को अपने प्रशासनिक या अर्ध-न्यायिक निर्णयों के कारण बताना।
  6. सभी सामग्रियों का प्रसार लागत प्रभावशीलता, स्थानीय भाषा और उस स्थानीय क्षेत्र में संचार की सबसे प्रभावी विधि को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा और सूचना इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में यथासंभव आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए।
  7. पीआईओ किसी अन्य अधिकारी की सहायता ले सकता है, यदि वह धारा 5(4) के तहत अपने कर्तव्यों के उचित निर्वहन के लिए इसे आवश्यक समझता है। 
  8. जिस अधिकारी से सहायता मांगी गई है, उसे पीआईओ को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करनी होगी, अधिनियम के किसी उल्लंघन के प्रयोजनों के लिए उसकी सहायता मांगने पर, ऐसे अधिकारी को आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 5(5) के अंतर्गत पीआईओ माना जाएगा।