Last updated: अक्टूबर 28th, 2024
नीति निगरानी और अनुसंधान प्रकोष्ठ (पीएमआर प्रकोष्ठ) अधिदेश के अनुसार, आयोग गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), स्वैच्छिक संगठनों, विश्वविद्यालयों / कालेजों, स्वायत्त निकायों, संस्थाओं आदि के सहयोग से विशेष अध्ययन कराता है, संगोष्ठियों / सम्मेलनों एवं कार्यशालाओं का आयोजन करता है । आयोग जमीनी स्तर से सूचना प्राप्त करने के लिए सिविल समाज के समूहों, शिक्षाविदों, महिलाओं के मुद्दो पर कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं और जेंडर अधिकारों एवं सशक्तीकरण के लिए कार्य कर रहे अन्य पक्षकारों के साथ कार्य करता है और उनसे बौद्धिक जानकारी प्राप्त करता है । पीपीएमआरसी प्रकोष्ठ देश में महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है और महिलाओं के प्रति भेदभाव के कारण उभर कर आ रही विशिष्ट समस्याओं अथवा परिस्थितियों पर विशेष अध्ययन या अन्वेषण की मांग करता है और संवर्धनात्मक एवं शैक्षणिक अनुसंधान कराता है ताकि सभी क्षेत्रों में महिलाओं को समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के उपाय सुझाए जा सकें।
अनुसंशाओं के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की नीतियां के निरूपण में सहायता करने के लिए सामाजिक संघटन्, भरण पोषण एवं तलाकशुदा महिलाएं, सक्रिय पंचायती राज, ठेके पर महिला मजदूर, न्यायिक विनिश्चयों में जेंडर पक्षपात, पारिवारिक न्यायालय, महिलाओं पर विभिन्न आयोगों की रिपोर्टों में जेंडर घटक, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा तक महिलाओं की पहुंच आदि ।
यह प्रकोष्ठ महिलाओं के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करेगा जिसके लिए अलग-अलग राज्यों के लिए जेंडर प्रोफाइल तैयार की जा रही है। यह प्रकोष्ठ इस क्षेत्र के विभिन्न समस्या क्षेत्रों को समझने और इन समस्याओं के हल करने के लिए कार्य योजना/ उपचारात्मक उपाय सुझाने के लिए राज्य सरकारों, सिविल समाज संगठनों, विशेषज्ञों के साथ संगोष्ठियों, कार्यशालाओं एवं सम्म्ेलनों का आयोजन करता है।
पीपीएमआरसी प्रकोष्ठ अनेक कार्यकलाप/कार्यक्रम भी शुरू कराता है जो समाज में महिलाओं की खुशहाल जिंदगी में सहायत करेंगे।